6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

थोड़ी सी बारिश ने खोली सिस्टम की पोल, सड़कें बनी दरिया, पानी आने के बावजूद नहीं रोकी गई लो फ्लोर बस

जयपुर के विकास का जिम्मा संभालने वाला नगर निगम प्रशासन की कार्य करने की शैली पूरी तरह से बिगड़ी हुई है।

2 min read
Google source verification
rain_in_jaipur.jpg

जयपुर। राजधानी के विकास का जिम्मा संभालने वाला नगर निगम प्रशासन की कार्य करने की शैली पूरी तरह से बिगड़ी हुई है। तेज बारिश के साथ ही नतीजा हमेशा यह होता है कि कुछ ही देर में शहर का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है। इससे दोपहिया वाहन चालकों के साथ-साथ चौपहिया वाहनों की लंबी कतारें और जाम की स्थिति बन जाती है। शहर के वीवीआईपी माने जाने वाले जेएलएन मार्ग, सी स्कीम सहित अन्य जगहों पर यही आलम है।

राजधानी में सोमवार शाम को हुई बारिश में निगम के नालों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम की पोल पूरी तरह से खुल गई। हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर साफ सफाई का दावा करने वाला निगम हर साल इस व्यवस्था में फैल हो रहा है। हैरानी की बात तो यह है निगम के जिम्मेदार भी खुद बचने के बचाय बड़े अधिकारियों को सफाई व्यवस्था की ज्यादा जानकारी होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

यहां ज्यादा दिक्कत
पानी भरने से जवाहरनगर, खोहनागोरियान, सांगानेर, परकोटा, सिविल लाइन, झोटवाड़ा, दिल्ली रोड, गोनेर रोड पर लोगों की हालत खराब हो गई। पानी की निकासी नहीं होने से घरों, दुकानों में पानी भर गया। कई घरों में दो फीट तक पानी भरने से लोगों का सामान भीग गया। अब लोगों को चिंता सताने लगी है कि जब कुछ देर की की बारिश में यह स्थिति है तो फिर जब कई घंटे बारिश होगी तो उस समय क्या हालात बनेंगे।

बारिश ने पूरी व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। बारिश थमने के बाद लोगों ने बर्तनों की मदद से दुकानों और घरों में भरे पानी को निकाला। आमजन का कहना है कि हर साल सड़कें दरिया बना जाती है। दिल्ली रोड पर लो फ्लोर बस में सड़क से तीन फीट से अधिक पानी बस में आ गया, जिससे सवारियों को पानी के बीच सफर करना पड़ा।

की जा रही है खानापूर्ति
वर्तमान समय मेें निगम नालों की सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहा है। जिला प्रशासन भी निगम की कार्यशैली पर सवाल उठा चुका है। निगम कुछेक नाले साफ करने के बाद एक से दो दिनों तक कचरा वहीं छोड़ देता है जिससे यह फिर नाले में चला जाता है। जबकि तुरंत नाले की सफाई के साथ कचरा उठाया जाना चाहिए।

यहां भी मनमर्जी
सबसे ज्यादा विवादों में रहे करतारपुरा नाले के संरक्षण का जिम्मा बीते कई साल से निगम और जेडीए के पास है। लेकिन दोनों विभाग हर साल नाले की सफाई से लेकर हर तरह की दावे करते हैं लेकिन ठोस रणनीति फिलहाल नहीं बनाई गई। हालांकि यहां से एक युवक पहले कार सहित बह चुका है। उसके बावजूद प्रशासन इस तरह की लापरवाही कर रहा है।

नालों की सफाई करने का कार्य इंजीनियरिंग शाखा का है। रिपोर्ट के मुताबिक 100 प्रतिशत सफाई की है। कई जगह खामियां है तो उसे दुरुस्त किया जाएगा। ज्यादा जानकारी के लिए आयुक्त महोदय कुछ बता पाएंगे।
— अरुण गर्ग, अतिरिक्त आयुक्त, नगर निगम